Friday, June 17, 2016

2- Business v/s Gambling - क्या व्यापार, जुआ है

Business v/s Gambling - क्या व्यापार, जुआ होता है - जानें

बहुत से लोग ये कहते हैं की व्यापार  (Business) एक जुआ होता है - क्या वास्तव में ऐसा होता है  -

जी नहीं ! - व्यापार जुआ, बिलकुल नहीं होता है - क्यों - आइये इसे जानें

-------------------------------------------------------------------------------------
सबसे पहले तो ये जाने - की सही ज्ञान ही आपको जिताने वाला बनाता है 
-------------------------------------------------------------------------------------
जुआ (Gambling) मतलब  हारते ज्यादा हैं और जीतते कम हैं -पाते कम और खोते ज्यादा हैं 
- ये पत्तों पर निर्भर करता है यानि depend करता है की कैसे पत्ते आपके पास आएंगे
- और जिताने वाले पत्तों का आना - ये तो उपरवाला  ही जाने

व्यापार (business) - अगर सही ज्ञान और समझ से करें तो सिर्फ मुनाफा मतलब लाभ या फायदा ही होता है
ये आपके ज्ञान और समझ पर निर्भर करता है यानि depend करता है की जिस व्यापार को आप करना चाहते हैं उसकी कितनी समझ आपको है - इस तरह
          नुक्सान तो होगा ही नहीं 

व्यापार का मतलब है - किसी को सर्विस या प्रोडक्ट बेचना  - 
प्रोडक्ट जैसे - कपडे - राशन - मोबाइल बेचना
सर्विस- (सेवा) जैसे  - डिज़ाइन - प्रिंटिंग - डॉयक्लीन - मोबाइल रिचार्ज करना-फोटोस्टेट आदि

अगर ऐसा है तो  व्यापार में नुक्सान क्यों होता है -  सही ज्ञान होने के बावजूद लालच की वजह से 

वो कैसे - हम सभी अपनी क्षमताओ यानि अपनी capacity या अपनी ताकत को अच्छी तरह जानते हैं पर लालच की वजह से अपनी लिमिट यानि  सीमा को भूल जाते हैं  नतीजा - नुक्सान

आइये आपको  बिज़नेस करना सिखाएं -     
आपने रिंग डालने वाला गेम तो खेला ही होगा - जैसे मेले में रिंग फैकने पर  ईनाम देने वाला गेम
अब नीचे पिक्चर को देखें -  

मान लीजिये की आप खड़े हैं और कुछ फुट की दूरी पर रिंग डालने के लिए  डंडे लगे हैं
आपको तीन मौके मिलेंगे - यानि तीन बार में चाहे एक बार ही डल जाये -
तो ऐसे आप कितने दूर वाले डंडे में - चाहे एक बार ही डले पर  रिंग जरूर यानि पक्का डाल देंगे  
तो आप खुद से अंदाजा लगा कर -मन  ही मन  प्रैक्टिस करके तीन बार रिंग को डालने का सोचे और जिस दूरी यानि फुट पर आप पक्का डाल ही लेंगे उस दूरी यानि फुट को  लिख लें

अब जानें बिज़नेस की बात - यानि इसमें बिज़नेस कैसे होगा 
अब आपको 100 Rs देने होंगे ( मानना है की अपने 100 Rs दे दिए)
अब नीचे पिक्चर  अनुसार किसी एक दूरी को आपने चुनना है और 
उसमे रिंग डालने के अनुसार आप पैसे लेंगे 

ध्यान रखें 
- जिस दूरी को  चुन लिया - बस उसी में ही आप तीन बार रिंग ड़ाल  सकेंगे 
- यानी जिस दूरी को एक  बार चुन लिया तो बदल नहीं सकते 
- अब उसी दूरी वाले में 3 बार रिंग डालना है
     जैसे ही  रिंग डल जाता है आप वो पैसे कमा लेंगे वर्ना 100 Rs  का नुक्सान 


 ज्यादातर लोग - सब कुछ भूलकर  - एक झटके में 2000 Rs कमाने के लिए - 10 फुट वाले डंडे को चुनते हैं और अपने 100 Rs भी गवाँ देते हैं और ये है लालच यानि नुक्सान

सही व्यापारी 5  फुट डंडे को चुनेगा क्योंकि वह लिमिट में हैं यानि 5 फुट की दूरी में रिंग डाला जा सकता है चान्सेस ज्यादा है

पर अगर  पैसे किसी भी  कीमत पर खोने  नहीं तो 3 फुट की दूरी ही चुनना होगा- और  ये तो बिलकुल सुरक्षित होगा -  क्योंकि 3 फुट की दूरी पर रिंग ड़ालना बिलकुल मुश्किल नहीं होगा - और  जो पैसे लगाये थे वो 100 प्रतिशत वापस ले लिए - फायदा नहीं तो नुक्सान भी  बिलकुल नहीं हुआ -

 इसे अपनी वास्तविक जिंदगी में समझते हैं -

माना  की आप किरयाने मतलब दाल, चीनी , चावल आदि बेचते हैं और आप अच्छी तरह जानते हैं की उधार नहीं करना हैं

अब एक सिंपल दिखने वाला ग्राहक आता है और आपसे 100 Rs का सामान लेता है और कहता है की पैसे  कल दे देगा पर आप मना कर देते हो की उधार नहीं करते  - और सामान नहीं देते हो.

थोड़ी देर में एक नयी कार - आपकी दूकान के सामने रूकती है और उसमे से एक आदमी आपके पास आता है और 1 लाख रुपए का सामान लेता है और कहता है की पैसे कल देता हूँ - अब आप क्या करेंगे। 

व्यवहारिक ज्ञान को समझें -
साधारणतः  जब कोई सामान लेने आता है (जो सही और  ईमानदार हैं ) वह अपने साथ पैसे लेकर आते हैं और सामान का मोल भाव कर पैसे बचाते हैं

- या उनके कुछ पैसे ही कम पड़ जाते हैं और उसके लिए - आप सामान कम कर के दे सकते हैं.

- अगर आप उस आदमी को बहुत अच्छे से जानते हैं तो ये भी जानते होंगे की वो बात का पक्का है या नहीं 
- अगर नहीं और फिर  भी आप लालच की वजह से सामान देते हैं तो नुक्सान होना ही है 


जहाँ दिखावा है - ज्यादा कमाई का लालच है - वहां नुक्सान होगा ही 


और ये ऐसे होता है - 
ग्राहक पहले दिन - बिना रेट पूछे 10 Rs वाली आइटम 11 Rs में भी लेगा और नकद देगा
ग्राहक दूसरे  दिन - बिना रेट पूछे 50 Rs वाली आइटम 53  Rs में भी लेगा और नकद देगा
ग्राहक तीसरे दिन - बिना रेट पूछे 100 Rs वाली आइटम 110   Rs में भी लेगा और नकद देगा
ग्राहक सातवें  दिन - बिना रेट पूछे 1000 Rs का सामान लेगा और 500 Rs देकर बाकी बाद में देने को कहेगा
ग्राहक दसवें  दिन - पिछले 500 Rs देगा और  3000 Rs का सामान लेगा और 1500  Rs और देकर
                              बाकी बाद में देने को कहेगा

और इस  तरह आपके उस पर 1500 Rs उधार चढ़ गए जो की धीरे धीरे बढ़ते रहते हैं और आप सोचते है की व्यापार बढ़ रहा है पर ये नहीं समझ रहे की घाटा भी बढ़ रहा है - तो ये हुआ लालच वाला बिज़नेस

अगर इस तरह के 20 ग्राहक हो तो आपका उधार Rs 30000 हो जायेगा

अब आप कहेंगे की बिना उधार तो व्यापार होता ही नहीं - चलो इसे भी देखें

आप उधार बिलकुल नहीं देते चाहे कोई कितना भी बुरा माने - पर आप रेट औरो से कम लेते हैं 

अब जिन  लोगों ने  1500 Rs का उधार लिया हुआ है उन्हें 50 Rs  से 300 Rs तक का सामान लेने हो तो - उधार वाले से लेने  जाते हैं तो कम से कम 500 Rs पिछले तो देने होंगे और नए के भी पैसे देने होंगे - तो वो अब कहाँ जायेंगे - जी हाँ वो जायेंगे उसके पास जहाँ उधार नहीं हैं - और देखिये नकद देकर सामान ले लेंगे

तो इस तरह - समय बीतने के साथ साथ

नकद वाला और मुनाफा कमाता जाता है और उधार वाला और नुक्सान बढ़ाता  जाता है

अब ये आपके ऊपर है की आप व्यापार को पक्के नियमों से करते हो या कच्चे तरीके से

धन्यवाद
संजय माकड़
फ़ोन 09311226033

Thursday, June 16, 2016

1- How to make costly Items affordable

आखिर कैसे महंगी items सस्ती हो सकती हैं 
जी हाँ - आइए जाने -

महंगी वस्तुए-  सस्ती-  कैसे हो जाती हैं 

इसे निम्न कहानी से समझते हैं. 

मैं तब 10  साल का था. और मेरी बहुत इच्छा थी की मुझे नयी साईकिल मिल जाये. 
और इसके लिए मैं अपने पापा से कहता रहता था की पापा प्लीज साइकिल ले दो ना। 
पर वो हमेशा कहते की अभी नहीं। 

एक बार मैं अपने पापाजी  के साथ बाजार गया।  वहां साइकिल की दुकान को देख कर, 
और हिम्मत कर उन्हें फिर कहा  - पापा साइकिल ले दो प्लीज्। 

मेरे पापाजी ने कहा "जाओ जाकर पता करो की साइकिल कितने की मिलेगी"

मैं फुर्ती से दुकान पर गया -अपनी पसंद की साइकिल के रेट को पूछा  और पापाजी के पास गया,

उन्होंने पूछा " हाँ कितने की है तुम्हारी नयी साइकिल "

मैंने बताया " 1500 रुपए की "

पापाजी जी ने कहा "सॉरी बेटा बहुत महंगी है।  मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं, मैं नहीं ले पाउँगा " 
अभी बहुत खर्चे सामने हैं जैसे घर खर्च, पढाई का खर्च, वगैरह -

मैंने भी अपना मन मार लिया।

10 साल बाद 
मैं पापाजी के साथ मार्किट जा रहा था और motorcyle का शोरूम दिखा. 

मन में आया, की पापाजी से motorcycle लेने के लिए कहता हूँ 

(और मन में ये भी था की वो लेकर तो  देंगे नहीं - फिर कहेंगे महंगा हैं मैं नहीं ले सकता।  ये ख़र्च है वो खर्च है )

फिर भी  मैंने पापाजी को कहा की "पापाजी मोटरसाइकिल ले लो मेरे लिए"

तो पापाजी ने भी - वो ही कहा "जाओ जाकर पता करो की मोटर साइकिल कितने की मिलेगी"

फिर वो ही स्टाइल - यानि वो भी मुझ से मजे ले रहे थे 

मैं उनके साथ शोरूम गया, वो रिसेप्शन पर बैठ गए 
और मैं सेल्समेन से रेट पूछने गया- उसने बताया - 45000 रुपए 

तौबा 10 साल पहले 1500 रुपए की साइकिल के लिए तो पैसे थे नहीं
 -अब 45000 रुपए - ये तो हो ही नहीं पाएगा- 

बुझे मन से पापाजी के पास गया 

उन्होंने पूछा " हाँ कितने की है मोटर साइकिल "

मैंने बताया " 45000  रुपए की "

पापाजी जी ने कहा "OK आज ही लेनी है या फिर किसी और दिन"

ये सुन कर मैं  भोच्चका रह गया - मुझे विश्वास ही नहीं हुआ

मैंने कहा "आप मजाक तो नहीं कर रहे - मुझे तो लगा की-  आप कहेंगे ये तो बहुत ही महंगी है - जैसे 10 साल पहले साइकिल लेते कहा था  "

पापाजी ने कहा - नहीं बेटा - मैं  मजाक नहीं कर रहा - आज मेरे लिए, ये 45000 रुपए सस्ते हैं उस 10 साल पहले के 1500 रुपए से.

उस समय  मेरी कमाई ज्यादा नहीं थी और इसलिए  मैं साइकिल नहीं दिला  सका, और 1500 रुपए महंगे थे.
पर अब मेरे पास पैसे हैं और इतने हैं की ये 45000 रुपए भी सस्ते हैं

मैं तुम्हे एक बात सीखाता हूँ 

ये जरूरी नहीं की जो - आज तुम्हे महंगा लग रहा है - वो कभी सस्ता नहीं लगेगा

अपनी कमाई इतनी बढ़ाओ - 
की हर महंगी चीज़-  तुम्हे सस्ती लगने लगे